“उल्लेख एन.पी. की पुस्तक ‘वाजपेयी’ भारत के सबसे प्रज्ञावान प्रभावशाली नेताओं में से एक, अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन में एक मनोरम और सटीक व्यापक अंतर्दृष्टि से अवगत करवाती है। ये पुस्तक उनके जीवन संघर्षों का छोटा सा दृश्य प्रकट करती है जो पाठको राजनीती से जुड़ी दिकताओ से अवगत करवाती है। बारीकी से की गई शोध और एक सम्मोहक कथा के साथ, लेखक पाठकों को वाजपेयी के राजनीतिक करियर, व्यक्तिगत जीवन यात्रा पर ले जाता है। इस पुस्तक के पठन से अटल जी के संघर्ष और भारत के राजनीतिक इतिहास में उनके अहम योगदान का पता लगता है। यह पुस्तक उनकी रुचियों और उनके अंदर छुपी कलाओं को भी दृष्टिगत करती है।
लेखक की लेखन शैली सरल,आकर्षक और तर्कपूर्ण लेखन है, जो पुस्तक को पढ़ने पर मजबूर करती है। जिससे राजनीतिक, सामाजिक विषयों में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए इसका अनुसरण करना आसान करती है। उल्लेख एन.पी. ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तिगत वृत्तांत और राजनीतिक विश्लेषणों को निचोड़ कर एक संपूर्ण कथा तैयार करते है जो पाठकों को शुरू से अंत तक मोहित रखती हैl पुस्तक की प्रथम पंक्ति से मन की गहराइयों में कहानी के किरदारों की रूपरेखा तैयार हो जाती है, जो इस पुस्तक को और मनोहर बना देती है।
इस पुस्तक का सबसे रोचक विषयो में से एक यह है कि इसमें गैर कांग्रेसी सरकार के उत्थान का विवरण है जो अटल जी के संघर्ष को अपने शब्दो में बयान करता है। अटल बिहारी वाजपेयी पहले ग़ैर-काँग्रेसी प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने पाँच साल का कार्यकाल (1999–2004) पूरा किया है। ये पुस्तक अटल जी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के और राजनीति से जुड़े उन अनसुलझे पहलुओ पर भी प्रकाश डालती है। यह छोटी-सी हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी को वर्तमान की भारतीय संसद की सबसे बड़ी पार्टी बनाने में अटल जी के योगदान को दृष्टिगत करती है ।
पुस्तक की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक इसकी वाजपेयी के जीवन पर एक संतुलित परिप्रेक्ष्य प्रदान करने की क्षमता है। उल्लेख एन.पी. प्रधान मंत्री के रूप में वाजपेयी के कार्यकाल की सफलताओं और विफलताओं दोनों पर प्रकाश डालता है, उनके सामने आने वाली चुनौतियों और उनके द्वारा लिए गए निर्णयों पर प्रकाश डालता है। यह निष्पक्ष दृष्टिकोण पाठकों को वाजपेयी की विरासत के बारे में अपनी राय बनाने की अनुमति देता है। ये पुस्तक कुछ दूसरे पहलुओं का विवरण भी करती है, जिनमे अटल जी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण अहम है। ये पुस्तक अटल जी के सबका साथ सबका विकास वाले पहलू को भी दृष्टिगत करती है और वर्तमान में उस विचार के प्रभाव को दर्शाती हैं। कुछ अनसुलझे पहलू भी है जिसमें भूमिसुधार, हिंदूवादी जात-पाँत का उन्मूलन, समाज का उच्च वर्ग, निम्न वर्ग और अन्य दलों से सहयोग के लिए तत्परता को शामिल करता है। हालाँकि पुस्तक कई पहलुओं में उत्कृष्ट है, तो पाठको को इसे सही नजरिए से देखने में मदद मिलती है।।
जो बात ‘वाजपेयी’ को अन्य लोगो से प्रथक करती है, वह पूरी किताब में विस्तृत रूप से स्पष्ट की गई है। उल्लेख एन.पी. साक्षात्कार, भाषण और अभिलेखीय सामग्री सहित अन्य स्रोतों की एक विस्तृत श्रृंखला से पुस्तक में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। इस पुस्तक का शार पाठकों को वाजपेयी के जीवन और योगदान की व्यापक समझ प्रदान करता है। अंत में, उल्लेख एन.पी. द्वारा ‘वाजपेयी’ एक मनोहर और जानकारीपूर्ण जीवनी है जो पाठकों को अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन के बारे में गहराई से जानकारी देती है। अपने संतुलित परिप्रेक्ष्य, सूक्ष्म शोध और मनोरम कहानी कहने के कारण, यह पुस्तक भारतीय राजनीति या इसके सबसे प्रमुख नेताओं में से एक के जीवन में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए अवश्य पढ़ी जानी चाहिए।
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
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