अपनी सर्व प्रिय भारतरत्न, लोकप्रिय स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर दीदी हमारे बीच नहीं रही। कहते है ना की जो आता है उसें जाना भी पड़ता हैं, बस आज सवेरे सवेरे ये मधुर आवाज़ हमें छोड़कर हमेशा के लिए चिर निंद्रा में समा गयी। उनकी अब आवाज़ ही पहचान रहेगी, जिन्हें हम कभी भुला नहीं पायेंगे, जब तक सूरज चाँद रहेंगे तथा युगों युगों तक पूरे विश्व जन को उनकी याद आती रहेगी।वास्तव में हम उन्हें यूं ही भूला नहीं पायेंगे।सात सुरों की निराली आवाज़ के एक युग का अंत हो गया। वह भारत के संगीत के गौरवपूर्ण इतिहास का एक अचल स्थम्भ है। उन्हें चाहने वाले हर उमर में पाए जाएँगे। लता मंगेशकर नाम सुनते ही मानो कानो में एक मधुर आवाज़ शहद तरह घुलने लगती है।शायद इसीलिए वह भारतीय संगीत जगत की स्वर कोकिला कही जाती हैं।
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उनके निधन से सारे देश में शोक की लहर छायी हुई है। उनके ७८ साल के संगीत करीयर उन्होंने ३०,००० से ज़्यादा गाने गए हैं। उनका यह योगदान अविस्मरणीय तथा अतुलनीय है। उन्होंने कई भारतीय भाषाओं में अब तक 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लता दीदी ने ५ साल की छोटी सी उमर में ही काम करना शुरू कर दिया था। इंदौर में पैदा हुई दीदी ने अपना पहला गाना मराठी फ़िल्म ‘किती हसाल’ के लिए गाया था। बदक़िस्मती से ये कभी रिलीज़ नहीं हुई लेकिन दीद की संगीत यात्रा शुरू हो गयी।
उसी अतुलनीय यात्रा के कुछ अनमोल मोटी, कुछ यादगार गाने लेकर बूक्षौल उन्हें भावपूर्ण श्रधांजलि अर्पित करता है। लता दीदी, आप चाहे जहां जाएँ, देश तथा विदेश में उनकी गुनगुनाहट में, उनके गीतों में, सुरों की लय में आप हमेशा जीवित रहेंगी
लता दीदी के कुछ यादगार गाने:
अजीब दास्तान है ये
१९६० की फ़िल्म दिल अपना और प्रीत पराई का ये खूबसूरत गीत आज भी उतना ही मधुर और अविस्मरणीय है।
लग जा गले की फिर
वो कौन थी का यह गीत काफ़ी फ़ेमस हुआ था। यह गीत आज भी भाव विभोर कर देता है।
आजा पिया तोहे प्यार दूँ
बहारों के सपने का यह गाना तन और मन को मंत्रमुग्ध कर देता है
तेरे बिना ज़िंदगी से
आँधी का यह गीत दर्द को एक नया आयाम देता है
तू जहां जहां चलेगा मेरा साया
सच यह गाना आत्मा को छूने वाला एक मोती है फ़िल्म मेरा साया से
आज फिर जीने की तमना है
गाइड फ़िल्म का यह सदा बहार गीत ऐसा है की आज भी सुनते ही मन डोल उठता है
एक प्यार का नगमा है
शोर फ़िल्म का यह गीत ज़िंदगी के सारांश को बखूबी बयान करता है
अल्ला तेरो नाम
हम दोनो का यह गीत एक ऐसा अनमोल मोती है जो कठिन समय पर मलहम का काम करता है।
ए मेरे वतन के लोगों
रोंगटे खड़े कर देने वाला देशभक्ति का यह गीत हर हिंदुस्तानी के दिल और आत्मा का एक अटूट हिस्सा है
नाम गुम जाएगा
किनारा फ़िल्म के इस्स गीत को सुनकर अब बस यही आता है ज़हन में, दीदी आपकी आवाज़ सिर्फ़ आपकी नहीं पूरे भारतवर्ष की पहचान है बन गयी है।
तो यह थी एक छोटी सी कोशिश बूक्षौल की तरफ़ से स्वर कोकिला तथा स्वर साम्रगि लता मंगेशकर को एक भावभीनी श्रधांजलि
ओम् शांति शांति शांति। आपको सद्गति प्राप्त हो
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Content Writer, Poet, Fiction Writer and a bundle of mystique, Rekha Bhagtani is a person who believes that writing is a true escapade one can get from this ruthless, mortal world. Not only is writing and reading therapeutic but also a complete life-altering experience for her, one she longs to revel and dive in every day, far from the clandestine of today, into the unknown, unexplored realms of something new every time.
Coming soon with her second book, a fiction where time travel meets romance in a fun manner, thanks to mythology. Confused? Keep watching this space…
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